कोई तालिम नहीं सीखी हमने, इस दुनियां से..।
हम आज भी सच बोलते हैं, मासूम बच्चों की तरह..।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कोई तालिम नहीं सीखी हमने, इस दुनियां से..।
हम आज भी सच बोलते हैं, मासूम बच्चों की तरह..।।
हमने तो कर दिया इजहारे
इश्क सबके सामने …
अब मसला आपका है
खुलकर कीजिये या आँखों से |
काश कही से मिल जाते वो अलफ़ाज़ हमे भी…
“जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम, तेरे दीवाने ज्यादा हैं!!
आंसू बहा बहा के भी होते नहीं हैं कम..
कितनी अमीर होती है आँखें ग़रीब की..
बहुत आदतें थीं जो छोड़ दी मैंने…
ख़्याल तुम्हें अपनाने का जो आया!!
ज़रा सी शाम हसीन क्या हुई..
उनकी कमी दिल को खलने लगी..!!
लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए
और हम कहते है कि आदमी का जमीर होना चाहिए|
मत लगाओ बोली अपने अल्फाजो
की हमने लिखना शुरू किया
तो तुम नीलाम हो जाओगे|
हवा में सुनी हुई बातों पर यकीन न करें..!
कान के कच्चे लोग अक्सर
अच्छे दोस्त खो देते है.!!
तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त…!!
असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता…!!