वो कुछ चुप सा रहता है ..
थोड़ा मशरुफ सा रहता है..
पुरानी फितरत है वो
अब भी थोड़ा दुर सा रहता है..।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो कुछ चुप सा रहता है ..
थोड़ा मशरुफ सा रहता है..
पुरानी फितरत है वो
अब भी थोड़ा दुर सा रहता है..।
कमजोर होते हैं वो लोग जो
शिकवा किया करते हैं,
उगने वाले तो पत्थरों का
सीना चीर कर भी उगा करते हैं!
काश तुम पूछो क्या चाहिये तूझे,
मैं पकडू हाथ तुम्हारा
और कह दूँ सिर्फ तुम…
ये कैसी किस्मत है दिल और भरोसे की,
कि सिर्फ टूटना लिखा रब ने मुकद्दर में…
ख़ुदा के वास्ते इसको न टोको,
यही एक शहर में का़तिल बचा है…
खुदा ने बहुत कमज़ोर बनाया है मेरे दिल को वरना,,,
भूल के तुझे आगे निकल जाना कोई बड़ी बात नहीं थी…
हसरत ये के थाम लूँ हाथ उनका ज़ोर से,
मगर कमबख़्त उनकी चूड़ियों पे तरस आता है…
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
अगर परछाईंया कद से और बातें
औकात से ज्यादा होने…तो समझ
लीजिये कि सूरज डूबने वाला है….
वो ना कुछ कहे चली गयी,
हम ना कुछ सुने थम गए,
इसी चाह मे ऐ दिल ऐ करवा,
तु ले चल मुझे ना कुछ
कहे ना बिन सुने…