अजीब क़र्ब है

अजीब क़र्ब है दिल से जुदा नही होता ।
तिरा वजूद क्यों मुझमे फ़ना नही होता है ।

बस एक तू ही हमारा ना हो सका जाना ।
वग़रना होने को दुनिया में क्या नही होता ।

चंद साँसें बची हैं

चंद साँसें बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
ज़िन्दगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।

हर कोई ज़ुबान वाला है

हर कोई ज़ुबान वाला है मगर वो ज़ुबान नहीं रखता,
अपने अंदर सादगी और दूसरों के लिए दुआ नहीं रखता,
काट कर मैं रख चुका हूँ अपने दिल को उसके कदमों में,
मगर वो बे-गैरत मेरे लहू के भी निशान नहीं रखता..!!