tere siva me kisi or ka kese ho skta hu,
tu khud hi soch tere jesa koi or h kya
Category: शर्म शायरी
सवालों में ही
सवालों में ही रहने दो मुझको…
यकीं मानिए…
मैं जवाब बहुत बुरा हूँ…
ना चाहते हुवे
ना चाहते हुवे भी साथ छोड़ना पड़ा,,
मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है…
दरवाज़े से घर
सुख कमाकर दरवाज़े से घर में
लाने की कोशिश करते रहे ,
पता ही ना चला कि कब ….
खिड़कियों से उम्र निकल गई .
लाजमी तो नही
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले,
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले…
याद का आना भी
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
मै तो बस
मै तो बस अपनी हकीकत लिखता हूँ….
और
लोग कहते है…
तुम शायरी अच्छी लिखते हो….
तुम शराफत को
तुम शराफत को बाजार मे न लाया करो ,
ये वो सिक्का है जो कभी बाजार मे चला ही नही ।
अक्सर दिमाग वालों ने दिलवालो का इस्तेमाल ही किया है ।
अजीब सा दर्द
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो ‘कायर’,
बताऊँ तो ‘शायर’।।