झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
दो चार नही मुझे बस एक ही दिखा दो,
वो शख्स जो अंदर से भी बाहर जैसा हो…….
कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है,
मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है……..
खुदा का शुक्र है कि ख्वाब बना दिये,
वरना तुम्हें देखने की तो बस हसरत ही रह जाती।
: मेरी वाली तो इतनी भुल्लकड़ है….
पगली
पैदा होना ही भूल गयी.
अच्छी किताबें
और सच्चे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते
मैदान मोहल्ले का,
जाने कब से खाली खाली सा है
कोई मोबाइल शायद
बच्चों की गेंद चुराकर ले गया
आ जाते हैं वो भी रोज ख्बाबो मे,
जो कहते हैं हम तो कही जाते ही नही
ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते..
लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र
याद रहता हैं
कितने सालों के इंतज़ार का सफर_खाक हुआ ।
उसने जब पूछा “कहो कैसे आना हुआ”।!!