रहने दे आसमा

किसी शायर ने खूब कहा है,

रहने दे आसमा, ज़मीन की तलाश कर,
सब कुछ यही है, कही और न तलाश कर.

हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर,

ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,

बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,

क्या भरोसा है जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,

जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर…

खुद को जो

खुद को जो सूरज बताता फिर रहा था रात को
दिन में उस जुगनू का अब चेहरा धुआं होने को था

जुदाई हो अगर

जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं….
बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं…