ताल्लुक़ कौन रखता है

ताल्लुक़ कौन रखता है
किसी नाकाम से…!

लेकिन, मिले जो कामयाबी
सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं…!

मेरी खूबी पे रहते हैं यहां,
अहल-ए-ज़बां ख़ामोश…!

मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो,
गूंगे बोल पड़ते हैं…!!

मैं इस दिल में

मैं इस दिल में सबको आने देता हूँ ,
पर कभी शक मत करना क्युकि जहाँ तुम रहती हो वहाँ में किसी को जाने भी नहीं देता…!!