आज फिर मुमकिन नही कि मैं सो जाऊँ…
यादें फिर बहुत आ रही हैं नींदें उड़ाने वाली
Category: शर्म शायरी
उसने अपने दिल के
उसने अपने दिल के अंदर जब से नफरत पाली है।
ऊपर ऊपर रौब झलकता अंदर खाली खाली है।।
जरा ठहर ऐ जिंदगी
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दूंगा,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है !!
उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ
उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ,
किसी से हमदर्दी की..!!
बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले…!!
हम भी मुस्कुराते थे
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!
अब डर लगता है
अब डर लगता है मुझे उन लोगो से…
जो कहते है, मेरा यक़ीन तो करो…!!
देते नहीं दाद ….
देते नहीं दाद …. कभी वो कलाम पे मेरे,
जुड़ न जाए कहीं नाम उनका नाम से मेरे
कौन कहता है
कौन कहता है हम दुनिंया से खाली हाथ जायेगे ,तेरा नाम रूह पे लिखवा कर आयेगे ॥
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से,
महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…
रहने दो अब कोशिशे
रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे..
बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…