क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर
रहिसो ने आधी फेंक दी, गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर
रहिसो ने आधी फेंक दी, गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी!!
हर मर्ज की दवा है वक्त ..
कभी मर्ज खतम,
कभी मरीज खतम..।
गिनती तो नहीं याद, मगर याद है इतना
सब ज़ख्म बहारों के ज़माने में लगे हैं…
कागज़ कलम मैं तकिये के पास रखता हूँ,
दिन में वक्त नहीं मिलता,मैं तुम्हें नींद में लिखता हूँ..
हम उसके बिन हो गये है सुनसान से,
जैसे अर्थी उठ गयी हो किसी मकान से !!
तुम रूक के नहीं मिलते हम झुक के नहीं मिलते
मालूम ये होता है कुछ तुम भी हो कुछ हम भी|
मिट्टी का बना हूँ महक उठूंगा…
बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख……
कसक पुराने ज़माने की साथ लाया है,
तिरा ख़याल कि बरसों के बाद आया है !!
मैं अपने शहर के लोगों से ख़ूब वाकिफ़ हूँ
हरेक हाथ का पत्थर मेरी निगाह में है|
जीत कर मुस्कुराए तो क्या मुस्कुराए
हारकर मुस्कुराए तो जिंदगी है….