उसको मिलने से पहले
कहीं बार सोचा था,
उस से मिलने के बाद कहीं बार सोचा हैं।
वो जो मिलती हैं मुझे, मुझे मिल
क्यूँ नही जाती..??
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसको मिलने से पहले
कहीं बार सोचा था,
उस से मिलने के बाद कहीं बार सोचा हैं।
वो जो मिलती हैं मुझे, मुझे मिल
क्यूँ नही जाती..??
मेरे पास आते आते,
दूर
मुझसे हो रही हैं।
एक अजनबी मिलके रोज,
कुछ और अजनबी हो रही हैं।
अंजाम-ए-मोहब्बत सोच
कर आगाज-ए-मोहब्बत कर न सके..
अब क्यूँ रोते हो उसके लिए, तमाम उम्र जो कभी
हुआ नही..??
कभी दंगो में जल गई थी जो कहानियाँ,
आज फिर से दंगो की
वजह बन गई हैं।
वो कहते रहे झूठ,
मै करता
रहा यकीन।
इतना यकीन किया,
यकीन नही होता।
मैं जलता हूँ उन बातों से
भी,
वो बातें..
जो मैं खुद भी नही जानता।
हर रात उधेड़ देती हैं उन शामो को,
जो उन दिनों
मेरी सुबह लेके आई थी।
जो आपके इंतज़ार में गुज़रती है,बहुत मसरुफ़ होने पर भी वो फ़ुरसत कम नही होती……
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए
तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है
लगी है
आग कहाँ क्यूँ पता किया जाए
जुदा है हीर से राँझा कई ज़मानों से
नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाए
कहा गया है सितारों को छूना मुश्किल है
कितना सच है कभी तजरबा किया जाए
किताबें
यूँ तो बहुत सी हैं मेरे बारे में
कभी अकेले में ख़ुद को भी पढ़ लिया जाए
हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी…
,
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते….
……
……….