बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी;
मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है…
Category: वक़्त शायरी
माला की तारीफ़ तो
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं..
काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
ये दुनियाँ ठीक
ये दुनियाँ ठीक वैसी है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं।
यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में गुलाब !!
हमेशा नहीं रहते
हमेशा नहीं रहते सभी चेहरे नक़ाबों में,
हर इक क़िरदार खुलता है, कहानी ख़त्म होने पर…!!
मयखाने से पूछा
मयखाने से पूछा आज,इतना सन्नाटा क्यों है,
.
मयखाना भी मुस्कुरा के बोला,
लहू का दौर है, साहेब
अब शराब कौन पीता है…..!!……..
तू याद रख या
तू याद रख या ना रख,
तू
ही याद हे, ये याद रख….
झूठी शान के परिंदे
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फडडाते हैं,
बाज की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती है !!
ख्वाइश बस इतनी
ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
करोडो में नीलाम
करोडो में नीलाम होते है यहाँ, एक नेता के
उतारे हुए सूट ।
वही कचरे में फेक देते है, ‘शहीदों की वर्दी और
बूट’ ।
किस्मतवालों को ही
किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह दोस्तों के
दिल मे….
यूँ ही हर शख्स तो जन्नत का हक़दार नहीं होता….