तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना…
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना…
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
Mat poocho, kyaa kaarobaar hai mera……..
Mohabbat bechta hoon main……
Aaj ke in nafraton ke baazaron mein………
मेरी जिन्दगी में झाँक कर तुम यूँ चले गये
ना मतलब था ना वास्ता,कोई बात बर न थी….
मत सोच इतना जिन्दगी
के बारे में ,
जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!
सियासत हो या मोहब्बत…”यारो…!”..
जीतता वही हे जो फरेबी हैं….!
रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं…
उसके लिए दिन भर “ईमानदारी” से जीना पड़ता हैं….!!
समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा…
…
वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।
वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई
क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ……
फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?
कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है ,
विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !