देखो तो इक पहाड़ से
कंकड़ उलझ गया
जोशो जुनून से ये दिलावर उलझ गया
हिम्मत को
उसकी आप भी अब दाद दीजिए
लाखों के सूट बूट से मफलर
उलझ गया
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखो तो इक पहाड़ से
कंकड़ उलझ गया
जोशो जुनून से ये दिलावर उलझ गया
हिम्मत को
उसकी आप भी अब दाद दीजिए
लाखों के सूट बूट से मफलर
उलझ गया
तुम्हें ग़ैरों से कब
फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न
तुम ख़ाली न हम ख़ाली.
ना जाने किसकी
दुआओं का फैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
जब कभी खुद की
हरकतों पर शर्म आती है …..
चुपके से भगवान को भोग खिला देता
हूँ …..
ये तेरा अकड़ तो दो
दिन की कहानी है ।
पर मेरा attitude तो खानदानी है।
यूँ ना देखा करो ….खुदा के लिए ,
मोहब्बत बढ़ गई तो मुसीबत हो जाएगी…
दिल का राज है
लेकिन तुम्है बतला रहा हूँ मैँ “”
“” जिसे खुद भी नही मालुम उसी को चाह रहा हूँ…
दिल को बेचैन सा करती है तुम्हारी आंखें…! •
रात को देर तक तुम मुझे सोचा ना करो..
दिल किसी से तब ही लगाना जब दिलों को पढ़ना सीख लो, हर एक चेहरे की फितरत मैं वफादारी नहीं होती.
कौन है इस जहान मे जिसे धोखा नही मिला,
शायद वही है ईमानदार जिसे मौका नही मिला…