अब मज़ा आने लगा है तीरों को देखकर ।
दुआ है तेरे तरकश में तीर कभी कम न हों ।
Category: वक़्त शायरी
मैं दाने डालता हूँ
मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के……
लफ्ज़ कबूतर से चले आते हैं….
जिंदगी की राहों में
जिंदगी की राहों में
मुस्कराते रहो हमेशा !
क्योंकि,
उदास दिलों को
हमदर्द तो मिलते हैं,
पर, हमसफ़र नहीं !
पेड़ भूडा ही सही
पेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा
मैं एक ताज़ा कहानी
मैं एक ताज़ा कहानी लिख रहा हूँ,मगर यादें पुरानी लिख रहा हूँ …
एक पहचानें कदमों की
एक पहचानें कदमों की आहट फिर से लौट रही है,
उलझन में हूँ जिंदगी मुस्कराती हुई क्यूँ रूबरू हो रही है…
उसे जाने को जल्दी थी
उसे जाने को जल्दी थी सो मैं आँखों ही आँखों में,
जहां तक छोड़ सकता था वहाँ तक छोड़ आया हूँ…
हर रोज़ दरवाजे
हर रोज़ दरवाजे के नीचे से सरक कर
आती है सारे जहान की ख़बरें…
एक तेरा हाल ही जानना इतना मुश्किल क्यूं है…
रूह तो जिसकी थी
रूह तो जिसकी थी वो ले गया,जिस्म के दावेदार यहाँ हज़ारों हैं!
ज़हर लगते हो
ज़हर लगते हो तुम मुझे जी करता है खा कर मर जाऊँ!