रात होते ही,
तेरे ख़यालों की सुबह हो जाती है
Category: वक़्त शायरी
तू वैसी ही है
तू वैसी ही है जैसा मैं चाहता हूँ…
बस..
मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहती है…
धीरे धीरे बहुत कुछ
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है…
लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी…
हमने दिया है
हमने दिया है, लहू उजालों को.
हमारा क़र्ज़ है इस दौर के सवेरों पर….
मत दो मुझे खैरात
मत दो मुझे खैरात उजालों की……
अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..
हँसी यूँ ही
हँसी यूँ ही नहीं आई है इस ख़ामोश चेहरे पर…..कई ज़ख्मों को सीने में दबाकर रख दिया हमने !
हजारो अश्क मेरे
हजारो अश्क मेरे आँखो की हिरासत में थे
फिर तेरी याद आई और उन्हें जमानत मिल गई
ज़िन्दगी हो तो कई
ज़िन्दगी हो तो कई काम निकल आते है
याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे
वो उम्र कम कर रहा था
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
कल ख़ुशी मिली थी
कल ख़ुशी मिली थी
जल्दी में थी, रुकी नहीं….