ना लफ़्ज़ों का

ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है ना किताबें बोल पाती हैं,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले…

तेरे रोने से

तेरे रोने से उन्हें कोई
फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल
जिनके चाहने वाले ज्यादा हो
वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं|

खुद को कुछ इस तरह

खुद को कुछ इस तरह तबाह किया,
इश्क़ किया क्या ख़ूबसूरत गुनाह किया,
जब मुहब्बत में न थे तब खुश थे हम,
दिल का सौदा किया बेवजह किया|