बदन तो खुश हैँ खुद पर रेशमी कपड़ो को पाकर
मग़र ज़मीर रो रहा हैं की मैं बिक गया कैसे…..
Category: वक़्त शायरी
मजबूर किया तुमने
मजबूर किया तुमने नज़र अंदाज़ करने पर
वरना हम तो तेरे हर अंदाज पर तेरी नज़र उतारा करते थे…..
बदन की क़ैद से
बदन की क़ैद से बाहर,ठिकाना चाहता है
अजीब दिल है,कहीं और जाना चाहता है|
एक वो दिन
एक वो दिन जब लाखों गम और काल पड़ा है आंसू का,
एक वो दिन जब एक जरा सी बात पे नदियां बहती थीं।
मैं इस दिल में
मैं इस दिल में सबको आने देता हूँ ,
पर कभी शक मत करना क्युकि जहाँ तुम रहती हो वहाँ में किसी को जाने भी नहीं देता…!!
कभी खो लिया
कभी खो लिया
कभी पा लिया
कभी रो लिया
कभी गा लिया
कभी छीन लेती है हर ख़ुशी
कभी मेहरबान बेहिसाब है।
ये जो ज़िन्दगी की
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कभी इक हसीं सा ख्वाब है
कभी जानलेवा अज़ाब है।
ऐ ग़ालिब तू शोर न कर….
ऐ ग़ालिब तू शोर न कर….
रजामंद तुझे भी किया जायेगा….
फरमाईस बता तेरी क्या है
पैमाने-जाम तुझे भी दिया जायेगा……..
कोई ढूंढ लाओ उसको
कोई ढूंढ लाओ उसकोवापस मेरी ज़िन्दगी में…
ज़िन्दगी अब साँसे नहीं,उसका साथ मांग रही है…
जो निखर कर
जो निखर कर बिखर जाये वो “कर्तव्य”है…!
और जो बिखर कर निखर जाए वो “व्यक्तित्व” हैं…!