रो पड़ा वो

रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!

जिस नजाकत से…

जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…

चल ना यार हम

चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते हैं हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे|