सुधरना-बिगडना मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है
ना की माहौल पर l
रामायण में दो पात्र हैं
विभीषण और कैकयी !
ंविभीषण रावण के राज्य में रह कर के भी नही बिगडा
और
कैकयी राम के राज्य में रहकर भी नही सुधरी l
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुधरना-बिगडना मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है
ना की माहौल पर l
रामायण में दो पात्र हैं
विभीषण और कैकयी !
ंविभीषण रावण के राज्य में रह कर के भी नही बिगडा
और
कैकयी राम के राज्य में रहकर भी नही सुधरी l
मत पूछिये हद,
गुस्ताखियों की।
हम रख कर ज़मीं पर आईना
आसमान को कुचल देते हैं।
इंसानों की इस दुनिया में, बस यही तो इक
रोना है…
जज़्बात अपने हों तो ही जज़्बात हैं, दूजों के
हों तो खिलौना हैं….
आपको कोई अच्छा इंजीनियर मिले तो बताना,
मुझे इंसान से इंसान को जोड़ने वाला पुल बनाना है।
प्यार भी न जाने अब किस किस्म का होने लगा, रुह से ज्यादा सजदा अब जिस्म का होने लगा
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम
तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे …
उसे पता था कि उसकी हसी मुझे पसन्द है..
इस्लिये उसने जब भी दर्द दिया मुस्कुराकर दिया..!!
किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में.
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!
सब ढूंढ़ते रहे मुझमें….मुनाफे की वजह…
करता रहा सौदे मैं ,बेमोल मुस्कुराते हुए…!!
जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में, वक़्त नहीं लगता…
हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में, वक़्त नहीं लगता…