मुहब्बत
ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में ।
इधर तो हम पर जो गुज़री है
हम ही जानते हैं ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुहब्बत
ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में ।
इधर तो हम पर जो गुज़री है
हम ही जानते हैं ।।
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर
रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी
देखकर सोचा तो पाया फासला ही फासला
और सोचकर देखा तुम मेरे बहुत करीब थे
वो जब भी मिलता है अंदाज़ ऐ जुदा होता है
चाँद सौ बार
भी निकले तो नया होता है
लिखता हूँ तो तुम ही उतरते हो क़लम से..
पढ़ता हूँ तो लहजा भी
तुम आवाज़ भी तुम..
हर बार
तोडा दिल तूने इस क़दर संग-दिल
गर जोड़ता टुकड़े तो ताजमहल बनता
हाथ मेरा देख कर ये
मशवरा उसने दिया..
कुछ लकीरों को मिटाना अब ज़रूरी हो गया
आधी से ज्यादा शब-ए-गम काट चुका हूँ ,
अब
भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है …
हर
एक आगाज का अंजाम तय है,
सहर कोई हो उसकी शाम तय
है..!!!
वक्त ने कई जख्म भर दिए, मै भी बहुत कुछ भूल चुका
हूँ..
पर किताबों पर धूल जमने से कहानियाँ कहाँ बदलती है..