मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से ,रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता ।
Category: व्यंग्य शायरी
समेट कर ले जाओ
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।
एक उम्र गुजरती है
एक उम्र गुजरती है धुलने में दागे दामन
लगती है देर कितनी इल्जाम लगाने में।
नेता नहीं होते
कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे …!!
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते
वक़्त की गर्दिश
न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला,
पेड़ सूखा तो परिन्दों ने ठिकाना बदला…
जितना चाहे रूला ले
जितना चाहे रूला ले मुझको तूँ ऐ जिन्दगी..
हंसकर गुजार दूँगा तुझको, ये मेरी भी जिद्द है…!!
बुजदिलो के हाथो में
बुलबुल के परो में बाज नहीं होते ,,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते,,
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत,,
दोस्तों उन “सिरों” पर कभी “ताज” नहीं होते।
घर की आग भी
घर की आग भी कितनी समझदार होती है…..
हमेशा बहु को लगती है बेटी को नहीं…
कुछ पल के लिए
कुछ पल के लिए ही अपनी गोद में सुला लो ए जान,
आँख खुले तो उठा देना और ना खुले तो दफना देना…॥
जिंदगी ने मेरे
जिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बेहतरीन ईलाज बताया,
वक्त को दवा और ख्वाहिशों को परहेज बताया…॥