इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..
Category: व्यंग्य शायरी
मुझे मालूम था
मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक
नहीं जाते थे,
फिर भी मैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों
के घर भी आते थे!
मोहब्बत यूँ ही
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती….,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए…।
तेरी यादों को भी
हम शायरी में तेरा चर्चा नहीं होने देते
तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते
जिद तो उसकी हैं
मिल जाए आसानी से,उसकी ख्वाहिश किसे है?
जिद तो उसकी हैं जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं…॥
रो कर माँगा है
मैं कैसे उस शख्स को रूला सकता हूँ,
जिस शख्स को मैनें खुद रो रो कर माँगा है…॥
जब जलेबी की तरह
अब जब जलेबी की तरह उलझ गई है जिंदगी
तो ख्वाहिशोंसे खीचातानीं ठीक नहीं…
चासनी में डूबकर जिंदगी का लाभ उठाऐ
पत्तों सी होती है
पत्तों सी होती है कई रिश्तों की उम्र,
आज हरे…….
कल सूख जाएँगे….
क्यों ना जड़ों से सीखें… रिश्ते निभाना
कबुल करने के किये
गलती निकाल ने के लिए “दीमाग”चाहिये ..
ओर कबुल करने के किये “कलेजा” चाहिए..!!
मुसीबत में अगर
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि…
मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का..!