इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत.
यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को
Category: व्यंग्य शायरी
तंग सी आ गयी है
तंग सी आ गयी है सादगी मेरी मुझसे
ही
के हमें भी ले डूबे कोई अपनी अवारगी में..!!
अब इस से बढ़कर
अब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की..
बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..
उस मोड़ से
उस मोड़ से शुरु करे आ फिर से जिंदगी..
हर शह जहां हसीन थी..और हम तुम अजनबी..
मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी
तुमको तो तुम्हारी ये नजर ले बैठेगी
हमको ये मोहब्बत बेखबर ले बैठेगी
ये सगंदिलो की दुनिया है
ये सगंदिलो की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब, यहाँ पलकों पर बिठाते है, नजरों से गिराने के लिए…
दिल की हेराफेरी
दिल की हेराफेरी संभलकर कीजिये हुजूर..
अंजाम ऐ मोहब्बत जुर्म बड़ा संगीन होता है
तू मेरी क्या लगती है
कभी राजी तो कभी मुझसे खफ़ा लगती है ………
जिंदगी तू ही बता , तू मेरी क्या लगती है
जिन्हे आना है
जिन्हे आना है वो खुद लौट आयेंगे तेरे पास ए दोस्त,बुलाने पर तो परिंदे भी गुरुर करते है अपनी उड़ान पर !!
तेरे जाते ही
तेरे जाते ही चेहरे पे उदासी आन बैठी है,मैं जिनमें मुस्कुराता हूँ वो सब फोटो पुराने है !!