बात ये है,के तुम बहुत दूर होते जा रहे हो. . .
और हद ये है कि तुम ये मानतीं भी नही. .
Category: व्यंग्य शायरी
उठाना खुद ही पड़ता है
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना……
कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….
रहेगा किस्मत से
रहेगा किस्मत से यही गिला जिन्दगी भर,
कि जिसको पल-पल चाहा उसी को पल-पल तरसे…
बिना तेरे राते
बिना तेरे राते क्यों लम्बी लगतीं है …!
कभी तेरा ग़ुस्सा तेरी बातें , क्यों अच्छी लगती है …!
उनकी गहरी नींद का
उनकी गहरी नींद का मंजर कितना हसीं होता होगा…..
तकिया कहीं,जुल्फें कहीं और वो खुद कहीं।।
हमसे मोहब्बत का दिखावा
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर…
हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है
मेरे बस में हो
मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं,
लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।
धीरे से इतराना
धीरे से इतराना और तेज़ घूम जाने के बिच में,
एक लम्हा तुम्हारी आगोश में कँही खो गया है।
खुद से जीतने की जिद है…
खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है…
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…
एहसासों की नमी
एहसासों की नमी होना जरुरी है हर रिश्ते में…..
रेत सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है…..