तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!
Category: व्यंग्य शायरी
हम रोने पे आ जाएँ
हम रोने पे आ जाएँ तो दरिया ही बहा दें,
शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता…
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है,
मगर पूरी से कुछ कम है।
ज़िन्दगी को समझने में
ज़िन्दगी को समझने में वक़्त न गुज़ार,
थोड़ी जी ले पूरी समझ में आ जायेगी।
आँख पर शीशा लगाया है
आँख पर शीशा लगाया है कि महफ़ूज़ रहे…..
तेरी तस्वीर जो पानी में बनाई हुई है…..!!!
मैं ख्वाहिश बन जाऊँ
मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब
बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.
कल फिर जो तुमको
कल फिर जो तुमको देखा दीवार की ओंट से
ज़िन्दगी फिर मुस्कुरा उठी नजरों की चोट से
रंग उन अनकही बातो का
रंग उन अनकही बातो का
आज भी हरा है
जाने कितने पतझड बीत गये….
कुछ देर के सवालो मे..
उलझा उनको कुछ देर के सवालो मे..!
हमने जी भर के देख लिया उनको..!!
ध्यान तेरे ध्यान में
मुझको ये ध्यान तेरे ध्यान में रह कर आया
के तेरा ध्यान मेरा ध्यान बंटाने में है