जख्म छुपाना भी एक हुनर है,
वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जख्म छुपाना भी एक हुनर है,
वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
अल्फ़ाज़ के कुछ तो
कंकर फ़ेंको जनाब,
झील सी गहरी ख़ामोशी है यहां.!!
ज़हर का सवाल नहीं था
वो तो में पी गया
तकलीफ़ लोगों को ये थी
की में जी गया ।
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,,,!!!..
ऐ umar !!!
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी.!!!
रात रोने से कब घटी साहब
बर्फ़ धागे से कब कटी साहब
सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी
ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
ज़िन्दगी तो अपने ही दम पे जी जाती है
यारों किसी के सहारे से तो जनाज़े उठा करते हैं
तुम बेशक अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो
नां जाने फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले.…”
सबके कर्ज़े चुका दूं मरने से पहले, ऐसी मेरी नियतं हैं,
मौंत से पहले तूं भी बता दे ज़िन्दगी, तेरी क्या किमत हैं.”.
किसी भी मौसम में आकर खरीद लीजिये जनाब,
मोहब्बत के ज़ख़्म यहाँ हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे…
सुना है सब कुछ मिल जाता है खुदा कि दुआ से ,
मिलते हो अब खुद या मांग लू तुम्हें खुदा से ?