सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर
चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर
चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..
उस दिन ही दिल से उतरगयी थी वो,जिस
दिन घमंड से बोली,”भूल नही पाओगे
मुझे”..!!
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया,
उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।
तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत के साथ,
जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया |
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस
परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश
इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद,
अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता. !!
अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के
अफसानें
हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल
की खुदा जाने..”
जो निगाह आज मुझे देख कर झुक गई,,
यकिनन उसने मुझे कभी चाहा जरुर होगा|
मैं वक्त बन जाऊं, तु बन जाना कोई लमहा।
मैं तुझमे गुजर जाऊं , तु मुझमे गुजर जाना।।