माफ़ी चाहता हूँ गुनाहगार हूँ तेरा ऐ दिल…!!
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं…
Category: वक्त-शायरी
तुम भी अब मुझको
तुम भी अब मुझको झेल रहे हो ना
सच कहना तुम भी खेल रहे हो ना
आँखों मैं आग है
आँखों मैं आग है,तो होंठों पर है धुंआं
आदमी हो गया है करखानों की तरह|
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं अरमानों की तरह
मौसम फिर बदल गया , इंसानों की तरह.!!
साथ थे तो शहर
साथ थे तो शहर छोटा था..
बिछडे तो गलिया भी लम्बी लगने लगी….
बारिश में उछलते भीगते
बारिश में उछलते भीगते मेरे बचपन को….
अब दफ्तर की खिड़की से निहार लेता हूं….!
तुमसे मिलने का हमने
तुमसे मिलने का हमने निकाल लिया एक रास्ता…..
झांक लेते हैं दिल में …आँखों को बन्द करके…!
हमारी उम्र नहीं थी
हमारी उम्र नहीं थी इश्क़ करने की
बस तुम्हे देखा और हम जवां हो गए
कौन कमबख़्त चाहता है
कौन कमबख़्त चाहता है सुधर जाना
हमारी ख़्वाहिश तुम्हारी लतों में शुमार हो जाना !
ये मशवरा है
ये मशवरा है कि पत्थर बना के रख दिल को
ये आईना ही रहा तो जरूर टूटेगा