तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,क्या कहूँ, केसे कहूँ, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
Category: वक्त-शायरी
तुझे अपनी खूबसूरती पर
तुझे अपनी खूबसूरती पर इतना गुरूर क्यों है
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लगता है तेरा आधार कार्ड अभी तक बना नही
सख़्त हाथों से
सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
क्या करना करेडों का
क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।
पापा आपके नाम से
पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ
इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|
सुना था मोहब्बत मिलती है
सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले,
हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया|
आवाज़ बर्तनों की
आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे,
बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….
आए थे मीर ख़्वाब में
आए थे मीर ख़्वाब में कल डांट कर गए,
क्या शायरी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा….
ऐसी भी अदालत है
ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है,
महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़ बयानों तक
ग़नीमत है नगर वालों
ग़नीमत है नगर वालों लुटेरों से लुटे हो तुम,
हमें तो गांव में अक्सर, दरोगा लूट जाता है|