ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले,
यू कहानिया अधूरी न लिखा कर
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले,
यू कहानिया अधूरी न लिखा कर
कभी आग़ोश में यूँ लो की ये रूँह तेरी हो जाए।
इस छोटे से दिल में किस किस को
जगह दूँ ,
गम रहे, दम रहे, फ़रियाद रहे, या तेरी
याद रहे..
रात भर जलता रहा ये दिल उसकी याद में ,
समझ नही आता दर्द प्यार करने से होता है
या याद करने से …
कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह रह कर,
अब ख़ुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा।
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं ,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं
मसला एक यह भी है जालिम दुनिया का..,
कोई अगर अच्छा भी है, तो अच्छा क्यूँ है…!
आप आते हैं कभी तारीख, महीना,कभी साल की तरह
कभी तशरीफ तो हो महफ़िल में एक इंसान की तरह।।
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।