शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं,
लिखते नहीं ।
वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं,
लिखते नहीं ।
वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥
प्रतिभा
एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना है.
हकिकत” से बहोत दूर है,
“ख्वाहिश” मेरी..!!!
फिर भी एक “ख्वाहिश” है
कि एक ख्वाब “हकिकत” हो
जाये..!
बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही
पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.
शुक्र है कि ये दिल…सिर्फ़ धड़कता है…अगर
बोलता…तो कयामत आ जाती….
अगर रुक जाये धड़कन तो इसे मौत न समझना….
अक्सर होता है ऐसा तुझे याद करते-करते….
आदमी सुनता है मन भर’.
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर;
और खुद ग्रहण नही करता कणभर।
मेरी नजर से कभी खुद को देखना,
.
तुम खुद ही खुद पे फिदा हो जाओगे…!!
मेरा नाम लिखकर छूकर देखना कभी…
कोई दिल वहाँ भी धड़क रहा होगा
मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों
के हिस्से में ही आती हैं…!!
क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन
तरीके से अंजाम देने की ताकत
रखते हैं..!!
“रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा;
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..!
थक कर ना बैठ ए मंजिल के
मुसाफ़िर;
मंजिल भी मिलेगी और
जीने का मजा भी आयेगा…!!”