एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
किसी उदास मौसम में,
मेरी आँखों पे वो हाथ रख दे
अपना,
और हसती हुई कह दे,
पहचान लो तो हम तुम्हारे
ना पहचानो तो तुम
हुमारे..
खूबसूरती से धोका, न खाइये जनाब,
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो मांगती तो खून ही है….!!
मैं वहाँ जाकर भी मांग लूंगा तुझे,,,
कोई
बताये तो फैसले कुदरत के कहाँ होते है..
Ek mehboob
beparwaah , ek mohbbat bepanaah…..
Dono kaafi
hain sukoon barbaad karne ko…….
जिस दिन तूम आओगी मेरे घर मेरी दुल्हन बनकर
उस दिन को मै मनाऊ गा नए साल की तरह
कैद कर के तुम्हारे चेहरे को,
मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली
अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है;
कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे;
कुछ इश्क की मेहरबानी है।
रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को,
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली..
तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”