बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का
आ बैठ…….’बता मुहब्बत क्या है’…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का
आ बैठ…….’बता मुहब्बत क्या है’…
जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।
अगर परछाईयाँ कद से और बातें औकात से बड़ी होने लगे तो समझ लीजिये कि सूरज डूबने ही वाला है..!
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है। मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।
सदाबहार हैं ख्वाब तुम्हारे ,
न कोई पतझड़ , न कोई बसंत इनका….
बदलते इंसानों की बातें हमसे न पूँछो यारों,
हमने हमदर्द को भी हमारा दर्द बनते देखा है!
कुछ दर्द के मारे हैं कुछ नाज़ के हैं पाले….
कुछ लोग हैं हम जैसे कुछ लोग हैं तुम जैसे….
तेरे बाद खुद को इतना तनहा पाया,
जैसे लोग हमें दफना के चले गए हो !!
मुझे बहुत प्यारी है, तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी…
“चाहे वो दिल का दर्द हो,
या…..आँखों का पानी……!!
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री..,,
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया ..