आँखों से पिघल कर

आँखों से पिघल कर गिरने लगी हैं
तमाम ख़्वाहिशें

कोई समंदर से जाकर कह दे
कि आके समेट ले इस दरिया को…!!

मज़ा आता अगर

मज़ा आता अगर
गुजरी हुई बातों का अफ्साना,
कहीं से तुम बयां करते,
कहीं से हम बयां करते।।