चुना था बाग से सब से हसीं फूल समझ कर तुझे….
मालूम न था तेरा खरीदार कोई और होगा
Category: लव शायरी
लिखा जो ख़त हमने
लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर,
डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..
एक शब्द है
एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।
तुझे ही फुरसत ना थी
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
हमारी शायरी पढ़ कर
हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो ,
कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है ..
बता किस कोने में
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
वो जो अँधेरो में
वो जो अँधेरो में भी नज़र आए
ऐसा साया बनो किसी का तुम
उफ़ ये गजब की रात
उफ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम,
हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते|
नींद कल रात भी
नींद कल रात भी आई थी सुहानी हमको
ए फ़क़ीरी तेरा एहसान चुकाएँ कैसे|
मोहब्बत के रास्ते
मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्युँ न हो…
खत्म तन्हाई के खंडहरों में ही होते है…!!