क्यों सताते हो

क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे

मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी

अब जीना है

बहुत जी

लिया उनके लिये जो मेरे
सबकुछ थे…!अब जीना है उनके

लिये
जिनके लिये मै सबकुछ हूं …!!

मेरी मोहब्बत तो

मेरी मोहब्बत तो मुकम्मल थी जो चार दिन मिला

प्यार तेरा
तेरे जिस्म की चाहत तो थी ही नहीं, तेरे अलगाव को कैसे मैं

बेवफाई कह दूं

सजा यह मिली

सजा यह मिली की आँखों से नींद

छीन ली उसने,
जुर्म ये था की उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था |