इतना
याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुख आँखों का
सबब पूछते हैं लोग।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना
याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुख आँखों का
सबब पूछते हैं लोग।
उस गरीब की भी, क्या उम्मीदें होंगी जिंदगी से
जिसकी साँसे भी, गुब्बारों में बिकती हैं..!
छोड़ रहा हूँ लफ़्ज़ों तुमको तुम्हारे हाल पे,
ढूंढ लो फिर कोई अधूरी मोहब्बत खुद के लिए…!!!
सुनो तुम्हारी शरारती ऑंखें, और लबों की
मुस्कराहट….!!
बेशर्मी से क़त्ल कर देती है, शायर की शराफत
का……!!
तुम .. ना मौसम थे..
ना किस्मत..
ना तारीख ….
ना ही दिन ना ही रात फिर बदल कैसे गये…. ?
किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना,
ऐ दोस्तों…
बड़े नसीब वाले होते है वो,
जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर..!!!
उफ्फ़ .. !! उसके रूठने की अदायें भी,
क्या गज़ब की है,
बात-बात पर ये कहना , सोंच लो.. फ़िर मैं बात नही करूंगी ….!
ज़ुर्म फिर से ज़ुरूरी हो गया है
तंग करने लगी है अच्छाई!
!
ज़ुर्म फिर से ज़ुरूरी हो गया है
तंग करने लगी है अच्छाई!
अब उठती नहीं हैं आँखें, किसी और की तरफ…
पाबन्द कर गयीं हैं
.
शायद, किसी की नज़रें मुझे.!!
अगर तहज़ीब हो तुझमे तो हर इंसान तुझ से
मोहब्बत करे
मगर तहज़ीब लफ़्ज़ों से नहीं आँखों से बयां होती हैं