एक अरसा हुआ कि दिल खोला नहीं किसी के आगे..!
इन कामकाज़ी शहरों में एक इश्तहार से हैं हम..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक अरसा हुआ कि दिल खोला नहीं किसी के आगे..!
इन कामकाज़ी शहरों में एक इश्तहार से हैं हम..!!
उसने मेरी महोब्बत का, इस तरह तमाशा किया,
कि हम मरते है उनके प्यार मे, और वो हसते रहे मेरी दीवानगी पर…
महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है,
तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है |
ज़िंदगी में आईना
जब भी उठाया करो..
“पहले देखो ”
फिर “दिखाया करो ……..
घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते..
कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता..
याद आते हैं तो कुछ भी नहीं करने देते;
अच्छे लोगों की यही बात बहुत बुरी लगती है ।
लगे हो ना तुम भूल जाने में मुझे !
एक मासूम सी दुआ है नाकाम रहो तुम…!
वक़्त की रफ़्तार रुक गई होती;
शर्म से आँखे झुक गई होती;
अगर दर्द जानती शमा परवाने का;
तो जलने से पहले बुझ गई होती।
मुझे भी पता था की लोग बदल जाते है मगर,
मैंने कभी तुम्हे उन लोगों में गिना ही नहीं था…
इश्क़ कुछ पल के लिए
खोने और पाने की
कहानी नहीं होती है|