मुझको तड़पाता ही रहता है

तेरा प्यार मुझको तड़पाता ही रहता है!
तेरा ख्वाब मुझको तरसाता ही रहता है!
बन चुकी है जिन्द़गी जुल्मों-सितम की यादें,
मेरा नसीब मुझको तो रुलाता ही रहता है!

तुझे हम भी हर पल यूँ

ऐ जिंदगी, तुझे हम भी हर पल यूँ सताएं
तो क्या तमाशा हो
जो तुझ से कर के हर वादा यूँ न निभाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी हर बात पर यूँ एहसान जताएं
तो क्या तमाशा हो
जो कभी हमारे दिल तक न पहुँचे तेरी सदाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी न माफ़ करे तेरी ये खताएं
तो क्या तमाशा हो
जो न बरसे कभी, बन जाएं वो घटाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी सीख लें तेरी वाली बफ़ाएं
तो क्या तमाशा हो
जरा सोच तो, जो हम न देखे तेरी ये अदाएं
तो क्या तमाशा हो|

बड़ी हसरत से

बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,
कल शाम मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं,
जिन में हुनर था थोडा झुक जाने का ।।।