आदत पड गयी है सभी को
प्यार अब हर किसी
को कहां होता है ??
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आदत पड गयी है सभी को
प्यार अब हर किसी
को कहां होता है ??
अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता..
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!
बेनाम आरजू की
वजह ना पूछिये,
कोई अजनबी था,
रूह का दर्द बन गया…!
वो पगली समझती है के उसने मेरा दिल तोड़ दिया
वो नहीं जानती वही दर्द बयां करके
हमने यहाँ लाखो का दिलजीत लिया |
कहने को कुछ नहीं …
आह भी चुप सी
घुट रही है सीने में !!
दीवाना पूछता है
ये लहरों से बार-बार…
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं
बताओ किधर गईं…!!!
वो ता-उम्र कहते रहे
तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं,
अंतत: दिल का दौरा
ये दाग भी धो गया!
गरूर तो नहीं करते लेकिन इतना यक़ीन ‘ज़रूर’ है..
कि अगर याद नहीं करोगे तो ‘भुला’ भी नहीं सकोगे.
तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे
मौला
वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी
इबादत कहाँ |