हमने दिया है, लहू उजालों को.
हमारा क़र्ज़ है इस दौर के सवेरों पर|
Category: याद
मत दो मुझे खैरात
मत दो मुझे खैरात उजालों की,
अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..
हजारो अश्क मेरे
हजारो अश्क मेरे आँखो की हिरासत में थे
फिर तेरी याद आई और उन्हें जमानत मिल गई|
कई काम निकल आते है
ज़िन्दगी हो तो कई काम निकल आते है
याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे|
इक इश्क़ का ग़म
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त
या ग़म न दिया होता, या दिल न दिया होता|
तू मोहब्बत से
तू मोहब्बत से
कोई चाल तो चल
हार जाने का
हौसला है मुझे !
जिस्म फिर भी
जिस्म फिर भी थक
हार कर सो जाता है ….
ज़हन का भी कोई
बिस्तर होना चाहिए …
चीर के ज़मीन को
चीर के ज़मीन को
मैं उम्मीदें बोता हूँ
मैं किसान हूं
चैन से कहाँ सोता हूँ|
ताल्लुकात बढ़ाने हैं
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी भी सीख लो..ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…!
मरम्मतें खुद की
मरम्मतें खुद की रोज़ करता हूँ,
रोज़ मेरे अंदर एक नुक्स निकल आता है !!