मत पूछो कि मै यह अल्फाज कहाँ से लाता हूँ,
उसकी यादों का खजाना है, लुटाऐ जा रहा हूँ मैं ।
Category: मौसम शायरी
वो पत्थर कहाँ मिलता है
वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त,
जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं..
मुझ में बेपनाह मुहब्बत
मुझ में बेपनाह मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही,
तुम अगर चाहो तो मेरी साँसो की तलाशी ले लो..
मुझे जलन है
मुझे जलन है तेरे आईने से,
ये तुझे देखता है बहुत करीब से..
उनकी आँखों से
उनकी आँखों से आँखें मिली
और हमको नशा हो गया…
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में आँसू की तरह एक रात आ जाओ,
तकल्लुफ से, बनावट से, अदा से…चोट लगती है।
गुज़रे इश्क़ की
गुज़रे इश्क़ की गलियों से और समझदार हो गए,
कुछ ग़ालिब बने यहाँ कुछ गुलज़ार हो गए।
अपनी मौजूदगी का
अपनी मौजूदगी का एहसास दिला दिया कर,
थक गया हूँ शायरियां करते-करते।
मेरी कमजोरी न समझना…
मेरी नरमी को मेरी कमजोरी न समझना….
ऐ नादान,
सर झुका के चलता हूँ तो सिर्फ ऊपर वाले के खौफ से…।
नसीब में नही होता
जिनका मिलना
नसीब में नही होता।
उनसे मुलाक़ात
कमाल की होती है।