बालकनी में आराम कुर्सी पर पड़ा हुआ है एक बोरा तुम्हारी याद से भरा।
Category: मौसम शायरी
इज़हार कर गयी…!!
एक मैं था जो थक गया, लफ्ज़ ढूंढ-ढूंढ कर,,
एक वो थी जो खरीदे हुए गुलाब देकर इज़हार कर गयी…!!
बेशक मुझे छोड़देना
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना.. कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़देना
DIL Sanwar Jaaye
MOHABBAT Rooh Ka Zewar
Pehen Le Jo Nikhar Jaaye,
Wafa Bhi Ho Agar Shaamil
To Bikhra DIL Sanwar Jaaye.
Teri Talab K Siwa…
Main Chahta Hoon, Tujhe Younhi Umar Bhar
Dekhoon
Koi Talab Na Ho Dil Mein, Teri Talab K Siwa…!!!
Hunar Ka Sikandar
Har Shakhs Hota Hai
Kisi Na Kisi
Hunar Ka Sikandar ..
Magar Kambakhat
Ye Haalaat
Wafa Nahi Karte
लकीर नहीं हूँ मैं
इंसान हूँ, तहरीर नहीं हूँ मैं ।
पत्थर पे लिखी लकीर नहीं हूँ मैं ।।
मेरे भीतर इक रूह भी बसती है लोगों
सिर्फ़ एक अदद शरीर नहीं हूँ मैं ।।
kahkar kalam meri
Ruk gayi aaj ye kahkar kalam meri,
ehsaas kimti hai,
zara kam kharch karo..
लगता चला गया
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया….
कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया…………
aawaz se teri..
Hal to puch luu tera par darta hu aawaz se teri..
Jab jab suni he kambakt mahoobat hi hui he..