भूल जाने की एक हद होती है,
तुम उस हद के पार जा रहे हो..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
भूल जाने की एक हद होती है,
तुम उस हद के पार जा रहे हो..!!
जो हमे समझ ना सका..
उसे हक है वो हमे बुरा ही समझे
मोहब्बत अब समझदार हो गई है…
हैसियत देख के आगे बढ़ती है।
जूते मेरे वालिद के क्या मेरे पैरों में आने लगे
हम तो कमाने के लिए बस ठोकरें खाने लगे …..
कमाल की मुहब्बत थी उसको हमसे….
यारों….
अचानक ही शुरू हुई
और बिन बतायें ही ख़त्म…
ज़रा सा हम भी बहके थे,.ज़रा सा दिल लगाया था,
किसी के इश्क़ में पड़कर ये दिल भी मुस्कुराया था…
कभी जो याद ही आये ज़रा सा मुस्कुरा देना,
तुम्हारी याद का आंसू कभी हमने बहाया था….
हमारी मखमली ख्वाहिश यहां पूरा ही दिन तरसी,
ज़रा सा दिल से फिर पूछा पता तेरा बताया था….
मुझे तुम अजनबी कह लो तुम्हे मैं अजनबी कह लूँ,
वो लम्हे पूछते अब हैं क्या मैं इतना पराया था ???
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
तेरा ज़िक्र मेरी किताब में नहीं आएगा
ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी गुजारू
लेकिन आईना जब सामने हो
तो कभी शरमिन्दगी न हो
मेरे करीब आकर, वो मुझसे ही दूर बैठे हैं…!!
नज़रों में है हया, फिर भी बा-गुरूर बैठे हैं…!!
आइना आज फिर रिश्वत लेते पकड़ा गया,
दिल में दर्द था फिर भी हँसता हुआ पाया गया !!