ज़िंदगी अब नही सवरेगी शायद,
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बड़ा तजुर्बेकार था उजाड़ने वाला..!!
Category: मौसम शायरी
नज़र बन के कुछ
नज़र बन के कुछ इस क़दर मुझको लग जाओ
कोई पीर की फूँक न पूजा न मन्तर काम आये…
ये फैसला तो शायद
ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
बदलने को हम भी
बदलने को हम भी बदल जाते…
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते |
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
भटकते रहे हैं
भटकते रहे हैं बादल की तरह;
सीने से लगालो आँचल की तरह;
गम के रास्ते पर ना छोड़ना अकेले;
वरना टूट जाएँगे पायल की तरह।
मुझे तेरे प्यार मे
मुझे तेरे प्यार मे
ऐसी ज़बरदस्ती चाहिये..
जो मैं छोडू हाथ तेरा,
तू बाहों में थाम ले मुझे..
बड़ी मुश्किल से सीखा है
बड़ी मुश्किल से सीखा है,
खुश रहना उसके बगैर….!!
अब सुना है, ये बात भी
उसे परेशान करती हैं!!!!!
कुछ दिन और लगेंगे
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
चुपचाप गुज़ार देगें
चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी,
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है…