हम तो हद से गुजर गए तुझे चाहने में,तुम्ही उलझे रहे हमें आजमाने में….!
Category: मौसम शायरी
कोई नहीं है
कोई नहीं है दुश्मन अपना फिर भी परेशान हूँ मैं,
अपने ही क्यूँ दे रहे है जख्म इस बात से हैरान हूँ मैं !!
अंग्रेजी की किताब
अंग्रेजी की किताब बन
गयी हो तुम……..
.
पसंद तो बहुत आती हो पर समझ
नही आती हो…
अब यादे तुम्हारी…
हले तुम , अब यादे तुम्हारी…
आखिर दुश्मनी क्या है मुझसे तुम्हारी ..!
फैंसला ये है की
फैंसला ये है की अब आवाज नहीं देनी किसी को…
हम भी देखे कौन कितना तलबगार है हमारा…
सिर्फ ख़ुशी में
सिर्फ ख़ुशी में आना तुम.
अभी दूर रहो थोड़ा परेशां हूँ मैं ..
जगह ही नहीं है
जगह ही नहीं है दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है !!
ऐसे माहौल मे…
ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..??
जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है
बरसात के मकोड़े
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते है…
की…….जिनके पंख लग जाते है वो कुछ ही दिनों के मेहमान होते है ।!
मैं मुसाफिर हूँ
मैं मुसाफिर हूँ ख़ताऐं भी हुई हैं मुझसे ……!!!
तुम तराज़ू में मेरे पाँव के छाले रखना ……!!!