मज़े दोनो बराबर ले रहे है…
कभी मैं जिंदगी के, कभी जिंदगी मेरे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मज़े दोनो बराबर ले रहे है…
कभी मैं जिंदगी के, कभी जिंदगी मेरे..
चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो
वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे|
एक तुम्हारे होने से कितनी,
ख्वाइशें सजा लीं है मैंने…….!!
कि मेरी दस्तक पे,
घर का दरवाजा तुम खोलो…!!
लौट आओ ना…
और आकर सिर्फ
इतना कह दो…
मैं भटक गई थी,
थी भी तुम्हारी और
हूँ भी तुम्हारी ही…।
वफ़ाई और बेवफाई, क्रमशः नदियां और समंदर है…
कितनी भी नदियां मिल जाए, समंदर खारा ही रहता है…
वैसे तो बहुत है मेरे पास, कहानियों के किस्से…
पर खत्म हुए किस्सों में, खामोशियाँ ही बेहतर…
कम्बख़त शराब भी आहिस्ता आहिस्त जान लेती है,
शाम तलक गले लगाती है सुबह ज़िंदा छोड़ जाती है..!!
ओस आस तो बहुत जगाती है ..
मगर प्यास किसकी बुझाती है …
तेरे वादे तु ही जाने. मेरा तो आज भी वही कहना है ,
*जिस दिन साँस टूटेगी उस दिन ही तेरी आस छूटेगी|
माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे…
पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।