तुम हज़ार बार भी

तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..

उस तीर से

उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,

लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।

मुख्तसर सी जिंदगी

मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है,
इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना
बहुत जरूरी है |

एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।

इंतहा आज इश्क़ की

इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी

था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी

देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी

तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी