मैं जो सब का दिल रखती हूँ,,,
सुनो मैं भी एक दिल रखती हूँ…
Category: बेवफा शायरी
वो जब पास मेरे होगा
वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी….,
अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.
बाँटने निकला है
बाँटने निकला है वो फूलों के तोहफ़े शहर में,
इस ख़बर पर हम ने भी,
गुल-दान ख़ाली कर दिया
हो तू दुनिया में
हो तू दुनिया में मगर, दुनिया का तलबगार न हो।
सिर्फ बाजार से गुजरे, पर इस से सरोकार न हो
हर इक चेहरा
सहमा सहमा हर इक चेहरा,
मंज़र मंज़र खून में तर..
शहर से जंगल ही अच्छा है,
चल चिड़िया तू अपने घर.!
कल रात मैंने
कल रात मैंने अपने सारे ग़म,
कमरे की दीवार पर लिख डाले,
बस फिर हम सोते रहे और दीवारे रोती रही.
किफायत रंग लाती है
किफायत रंग लाती है इरादा जो नेक हो तेरा,
सिर्फ सिक्के जोड़ लेने से अमीरी नही आती….
दौलत-ए-इश्क़
दौलत-ए-इश्क़ नहीं बाँध के रखने के लिये
इस ख़जाने को जहाँ तक हो लुटाते रहिये.!!
वो एक ही चेहरा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा,
जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता।
तुझसे नाराज़ होकर
तुझसे नाराज़ होकर कहाँ जाएँगे…
रोएँगे तड़पेंगे फिर लौट आएँगे