सिर्फ वक्त ही

सिर्फ वक्त ही गुजारना हो तो किसी और को आजमा लेना,
हम तो चाहत और दोस्ती दोनों इबादत की तरह करते है|

चल ओ रे मांझी

चल ओ रे मांझी तू चल ।
अपनी राहों को बनाके एक कश्ती हर पल
न दे के हवाला की क्या होगा यहाँ कल
कुछ अधूरी ख्वाईशो मे भर और बल
कभी उन्हें अपना बना,उनके रंगों मे ढल
युही हर मोड़ हर शहर हर डगर
मुसलसल कर कुछ तू यु पहल
चल ओ रे मांझी तू चल ।